प्लासी के युद्ध के कारण एवं परिणाम - Plasi Ka Yuddh

आज हम इस लेख Plasi Ka Yuddh के बारे में पढ़ेंगे, जो भारत के इतिहास मे एक महत्वपूर्ण घटना है । यह प्रश्न विभिन्न परिक्षाओं मे पूछे जाते है । प्लासी के युद्ध के कारण, परिणाम एवं महत्त्व को जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़े ।

plasi ka yuddh

प्लासी का युद्ध - Plasi ka Yuddh

मुगल साम्राज्य के अंतर्गत आने वालो प्रान्तों में से बंगाल एक सर्वाधिक संपन्न प्रान्त था और इसमें वर्तमान बांग्लादेश, बिहार और उड़ीसा राज्य शामिल थे । बंगाल अंग्रेजों के लिए व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था । अंततः 1717 ई. में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल शासक फार्रूखशियर के 3000 रुपऐं वार्षिक कर के शुल्क के बदले में पूरे बंगाल मुक्त व्यापार करने के लिए अनुमति प्राप्त कर ली । परंतु इस प्रांत की आधिकारिक शक्तियां नवाब के हाथों में था । बंगाल के नवाब अलीवर्दी खाँ मृत्यु 1756 ई. मे हो जाने के बाद बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला बनता है । किंतु अनेक परिस्थितियों के कारण अंग्रेजों के साथ संबंध बिगड़ गया था । जिसके कारण 1757 ई. को दोनों के मध्य प्लासी का युद्ध हुआ था । जिसके निम्नलिखित युद्ध के कारण थे । -

सिराजुदौला तथा अंग्रेजों के बीच संबंध

सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच संबंध कटुता पूर्ण गये थे । नवाब अंग्रेजों को बंगाल से बाहर निकलना चाहता था । अंग्रेजी व्यापारी को मिले शाही फरमान द्वारा सुविधाओं का नाजायज फायदा उठा रहे थे । वे देशी व्यापारियों को दस्तक देखकर नि:शुल्क व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे । जिसके कारण नवाब को आर्थिक क्षति हो रही थी । जब सिराजुद्दौला बंगाल के तख़्त पर बैठा तो अंग्रेज कंपनी की ओर से ना तो कोई भेंट दी और न ही उपस्थित हुए । अंग्रेज कलकत्ता के कोठियों में नवाब के शत्रुओं को शरण देता था । जिनमें ढ़ाका एक दीवान राजवल्लभ के पुत्र कृष्णावली था । राजवल्लभ ने सरकारी खजाना का गबन किया था । इस अपराध में इसे मुर्शिदाबाद में बंदी बना लिया । जब नवाब ने सिपाहियों को राजवल्लव की संपत्ति को जप्त करने के लिए ढ़ाका भेजा तो उसका पुत्र संपत्ति एवं परिवार के साथ अंग्रेजों के यहां शरण ले लिया था । अगला कारण यह था कि जब नवाब ने अंग्रेजों को आदेश दिया कि वह कलकत्ता की किलाबंदी समाप्त कर दे, फ्रांसीसियों ने केले बंदी समाप्त कर दिया था । किंतु अंग्रेजों ने जारी रखा था जिस कारण नवाब अत्यंत क्षुब्ध हो उठे ।

सिराजुद्दौला द्वारा कलकत्ता पर हमला

जब अंग्रेज ने कोलकाता की किले बंदी समाप्त करने का आदेश का उल्लंघन किया तो सिराजुद्दौला ने कासिम बाजार में स्थित अंग्रेजी कारखाना को जब्त कर लिया इसके बाद उसने 15 जून, 1756 ई. को कलकत्ता पर आक्रमण करके अंग्रेजों के फोर्ट विलियम किला पर कब्जा कर लिया । कुछ अंग्रेजों ने आत्मसमर्पण कर दिए और बहुत से बंदी बना लिए गए ।

कलकत्ता कालकोठरी की दुर्घटना - (Black Hole Tragedy )

फोर्ट विलियम पर कब्जा करने के बाद बंदियो को 20 जून, 1756 को सिराजुद्दौला ने गर्मी के रात में 146 अंग्रेजो को एक अत्यंत छोटे कमरे में बंद कर दिया, लेकिन अगले ही दिन निकला गया तो 146 में से केवल 23 व्यक्ति ही जिंदा बचे थे । इस घटना को " कलकत्ता के ब्लैक होल " नाम से जाना है । इस घटना के रचयिता जेड. हॉलवेल हैं ।

कलकत्ता पर अंग्रेजों का पुनः अधिकार

जब काल कोठरी की घटना मद्रास कौंसिल पहुंची तो वह काफी भड़क उठे । मद्रास कौंसिल ने राबर्ट क्लाइव एवं एडमिरल वॉटसन के नेतृत्व में एक सी भेजी । जिसने कोलकाता पर पुनः अधिकार कर लिया । सिराजुद्दौला को विवश होकर 9 फरवरी, 1757 ई. में अंग्रेजों के साथ 'अलीनगर की संधि' करनी पड़ी थी । इस संधि के तहत अंग्रजों को पुनः सभी अधिकार वापस कर दिया गया था ।

सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र

अंग्रेजों ने अपने षड्यंत्र के माध्यम से सिराजुद्दौला के सेनापति मीरजाफर, कोषाध्यक्ष रायदुर्भल, बंगाल का घनी व्यापारी जगत सेठ एवं सेना का एक पदाधिकारी यारलतीफ आदि दरबारियो से झूठे सच्चे प्रलोभन दे कर अपने और मिला लिया था । मीर जाफर को बंगाल के नवाबी पद प्रलोभन दे कर इस से गुप्त संधि कर ली । लेकिन सिराजुद्दौला अंग्रेजों की कुटनीतिक चालो को समझने मे असमर्थ था ।

प्लासी का युद्ध - Battle Of Plassey 

राबर्ट क्लाइव ने नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र तैयार करके युद्ध के लिए पृष्ठभूमि तैयार का ली । क्लाइव ने युद्ध का बहाना ढूँढ़ते हुए नवाब पर 'अलीनगर की संधि' का उल्लघंन का आरोप लगाया । जिसके फलस्वरूप 23 जून, 1757 ई. को सिराजुद्दौला और अंग्रेज़ी कंपनी की ओर से राबर्ट क्लाइव के बीच भागीरथी नदी के किनारे प्लासी नामक स्थान पर दोनों के बीच संघर्ष हुआ था । मीरजाफर तथा रायदुर्लभ के नेतृत्व वाले विशाल सेना चुपचाप खड़ा हो कर देख रहा था । किन्तु इस लड़ाई मे मोहनलाल तथा मीर मदान के नेतृत्व वाली छोटी सेना वीरता पूर्वक लड़ रही थी, तभी मीरमदान मारा जाता है ।सिराजुद्दौला फौज दगाबाजी के कारण पराजित हो जाता है । जिसके बाद कुछ सेना के साथ मैदान छोड़कर भाग जाता हैं। किन्तु वह पकड़ा गया और मीरजाफर के पुत्र मीरन इसका हत्या कर दिया ।

प्लासी युद्ध का परिणाम

प्लासी का युद्ध वास्तव में युद्ध नहीं था । यह तो दोनों सेनओं के बीच छोटी सी मुठभेड़ हुई थी, बल्कि इसमें षड्यंत्र तथा विश्वासधातो का प्रदर्शन था । किन्तु इसकी गणना विश्व के महान युद्धों के जाती है । जिसके निम्नलिखित परिणाम महत्वपूर्ण थे -
  • प्लासी युद्ध के बाद राबर्ट क्लाइव को संधि के तहत मीरजाफर को नाममात्र का बंगाल का नवाब बनाया अर्थात् यह अंग्रेजों के हाथ के कठपुतली शासक था ।
  • सिराजुद्दौल के मृत्यु के साथ ही बंगाल मे अलीवर्दी खाँ के वंश के शासन (1740 - 1757) का अंत हो गया ।
  • अंग्रेजों ने इस युद्ध के पश्चात अंग्रेजों ने बंगाल पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था । जिसके कारण वह आसानी से फ्रांसीसी तथा डचो का दमन कर दिया।
  • इस युद्ध से मुगलों की प्रभुत्व शक्ति को बड़ा छक्का लगा, क्योंकि सिराजुद्दौला एवं उसके पूर्वज मुगल शासक के नाम पर ही बंगाल शासन करते थे । किंतु अब  मुगल शासक की अनुमति के बिना ही मीरजाफर को नवाब बना दिया गया ।
  • इस युद्ध के पहले अंग्रेज यहाँ व्यापार करते थे,परंतु इस युद्ध के बाद वह शासक भाँति बर्ताव करने लगे ।उन्होंने कोलकाता में मुद्रा डालने के लिए टकसाल की स्थापना की तथा अब वह भारतीय राजनीतिक में दिल खोलकर हस्तक्षेप करने लगा । 
  • इस युद्ध मे अंग्रेजों को काफी लाभ हुआ था । मीर जाफट ने कम्पनी को 1 करोड़ 17 लाख तथा कम्पनी के कर्मचारियों को 12 लाख रुपयें दिये गए ।
  • इस युद्ध के पश्चात् कंपनी को मीरजाफर ने बंगाल के 24 परगनें की जागीर दी गई । अंग्रेजो ने व्यापार के क्षेत्र मे भी एकाधिकार प्राप्त कर लिया था ।

प्लासी युद्ध का महत्त्व

यह युद्ध भारत इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । इसी युद्ध के पश्चात अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में सफल हो सके । इस युद्ध के बाद अंग्रेजों की शक्ति, साधन एवं धान में व्यापक वृद्धि देखन को मिलता है । जिससे बाद में आने वाले कठिनाइयों से अंग्रेजों ने आसानी से सफलता प्राप्त कर ली एवं देश में धन निष्कासन प्रक्रिया प्रारंभ हो गया ।

Frequently Asked Questions

1. प्लासी युद्ध के समय मुगल सम्राट कौन था ?
Ans- आलमगीर द्वितीय प्लासी युद्ध के समय मुगल सम्राट था । वह 1754 से 1759 ई. तक भारत का मुगल सम्राट था ।
2. प्लासी का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ ?
Ans -
प्लासी का अंग्रेजी सेनापति युद्ध रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुदौला के बीच हुआ । इस युद्ध मे नवाब के सेनापति मीर जाफर के धोखा देने के कारण पराजित हो गया था ।
3. प्लासी युद्ध के बाद बंगाल का अगला नवाब कौन बना था ?
Ans -
अंगेजी सेनापति रॉबर्ट क्लाइव ने सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर बंगाल अगला नवाब बनाया ।

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1 Comments
  • Anonymous
    Anonymous February 17, 2024 at 8:10 PM

    Best

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